Detailed Notes on bhairav kavach

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भविष्य में आने वाली बुरी दुर्घटनाओं से रक्षा होती है।



यः इदं कवचं click here देवि चिन्तयेन्मन्मुखोदितम् ॥ २३॥





एतत् कवचमीशान तव स्नेहात् प्रकाशितम्

महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।







शङ्खवर्णद्वयो ब्रह्मा बटुकश्चन्द्रशेखरः ॥ ५॥

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