Detailed Notes on bhairav kavach
Wiki Article
भविष्य में आने वाली बुरी दुर्घटनाओं से रक्षा होती है।
೪
यः इदं कवचं click here देवि चिन्तयेन्मन्मुखोदितम् ॥ २३॥
एतत् कवचमीशान तव स्नेहात् प्रकाशितम्
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
शङ्खवर्णद्वयो ब्रह्मा बटुकश्चन्द्रशेखरः ॥ ५॥